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यह किताब कुछ भावनात्मक और देश, सकारात्मकता से भरा कविताओं का है। कुछ प्रेम करने वाले व्यक्तियों के भी आधार से इस किताब में कविताओं कि रचना कि गई है। आशा करता हूं आप सभी पाठकों को ये पुस्तक पसंद आएगी और आप सभी इस पुस्तक को सराहेंगे।
आसूं खुशी के भी होते हैं दुख के भी होते है खुशी के आसूं आंखों से बरबस छलक जाते है जिससे इंसान खुश होता है हल्कापन आ जाता है इंसान का तन मन खुश और प्रफुल्लित हो जाता है और गम के दुख के आसूं इंसान को तोड़ देते है उसके तन मन को हिला देता है वह बहुत ही निराश और दुखी हो जाता है। आसूं के इन्ही दोनों रूपों को सजीव करता ये मेरा नवीनतम काव्य संग्रह है।
नामवर सिंह ने आत्मकथा नहीं लिखी, इसके बावजूद उनकी आत्मकथा अंशों में प्रकाशित होती रही। इस पुस्तक में उनके वाचिक के ऐसे अंशों को एकत्र और क्रमबद्ध किया गया है कि उसे व्यवस्थित रूप में पढ़ा जा सके। बचपन के दिनों से लेकर आखिर दिनों तक की सिलसिलेवार स्मृतियाँ पहले खंड में...
मंज़िल यानि की पूर्णता इच्छित सफलता प्राप्त कर लेना मनचाहे ध्येय या लक्ष्य को पा लेना।पूर्णता इंसान को विराम देती है आराम देती है फिर इसके बाद में इंसान के मन में कोई चाह कोई इच्छा शेष नहीं रहती है मंज़िल को पा लेने के बाद कोई जीवन में कोई रोमांच नहीं बचता है ज़िंदगी मे जीवन में एकसरसा सी आ जाती है दूसरे शब्दों में हम कहे तो मंज़िल की प्राप्ति यानि की जीवन का अंत हो जाना समाप्त हो जाना।
"स्वर्ण मुद्रिका"संस्करण - 04" एक शायर की बाते' पब्लिकेशन की ओर से एक डेली चैलेंज मंथली इंग्लिश बुक है। अन्य लेखकों ने 'प्रेम' पर आधारित विषय पर अपने विचारों और भावनाओं को खूबसूरती से लिखा है। 'प्रेम'- 4 अक्षर का शब्द है लेकिन उसे बयां करने के लिए हजार शब्द कम हैं। किताब का नाम...
''आकाशवाणी ''(पूर्वनाम सारंग)--आकाशवाणी दिल्ली द्वारा देवनागरी लिपि में प्रकाशित इस हिंदी पाक्षिक पत्रिका में आकाशवाणी के विभिन्न स्टेशनों के कार्यक्रमों का विवरण,कार्यक्रमों से जुड़ीं रोचक जानकारियाँ और कलाकारों के छायाचित्रों का दुर्लभ संकलन उपलब्ध है I 5, जनवरी 1958 ...
Comprised of contributions from leading international scholars, The Routledge Handbook of Arabic Poetry incorporates political, cultural, and theoretical paradigms that help place poetic projects in their socio-political contexts as well as illuminate connections across the continuum of the Arabic tradition. This volume grounds itself in the present moment and, from it, examines the transformations of the fifteen-century Arabic poetic tradition through readings, re-readings, translations, reformulations, and co-optations. Furthermore, this collection aims to deconstruct the artificial modern/pre-modern divide and to present the Arabic poetic practice as live and urgent, shaped by the experie...