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मेरी कहानियाँ-श्रीलाल शुक्ल (Hindi Sahitya)
  • Language: hi
  • Pages: 211

मेरी कहानियाँ-श्रीलाल शुक्ल (Hindi Sahitya)

हिन्दी साहित्य के शिखर रचनाकार श्रीलाल शुक्ल की कहानियों का यह संग्रह एक अप्रतिम लेखक के अपने सामाजिक यथार्थ पर अचूक पकड़ और उसे बयान करने की उसकी अद्भुत कला का साक्ष्य है। इसकी कहानियाँ हिन्दी कहानी की रुढ़ियों, फार्मूलों, रवायतों से दूर खड़ी हैं और रचना के संसार मे...

Makaan
  • Language: en
  • Pages: 239

Makaan

  • Type: Book
  • -
  • Published: 2004-09
  • -
  • Publisher: HindiShop

None

Makaan
  • Language: hi
  • Pages: 244

Makaan

मकान नारायण एक सितारवादक है। जीविका के लिए वह परिवार को दूसरी जगह छोड़कर अपने पुराने शहर में आता है और यहीं से मकान की तलाश शुरू होती है। इस दौरान उसका सितार से साथ छूटने लगता है; और अब वह जिनके साथ जुड़ता है उनमें मकान बाँटनेवाला अफ़सर है, कर्मचारी-यूनियन का नेता बारीन हाल...

Raag Darbari
  • Language: en
  • Pages: 362

Raag Darbari

No Marketing Blurb

Bishrampur Ka Sant
  • Language: hi
  • Pages: 212

Bishrampur Ka Sant

बिश्रामपुर का संत' समकालीन जीवन की ऐसी महागाथ है जिसका फलक बड़ा विस्तीर्ण है और जो एक साथ कई स्तरों पर चलती है ! एक ओर यह भूदान आन्दोलन की पृष्ठभूमि में स्वातंत्रयोत्तर भारत में सत्ता के व्याकरण और उसी क्रम में हमारी लोकतान्त्रिक त्रासदी की सूक्ष्म पड़ताल करती है, वहीँ द...

Seemayen Tootati Hain
  • Language: hi
  • Pages: 214

Seemayen Tootati Hain

सीमाएँ टूटती हैं दुर्गादास को एक हत्या के जुर्म में जनमकैद हो गई है। उसके बाद ही मानवीय सम्बन्धों की हत्या के प्रयास और उन सम्बन्धों की सर्वोपरिता की यह कथा शुरू होती है। इसमें जिस बहुरंगी संसार की रचना हुई है, वहाँ वास्तविक संसार जैसा ही उलझाव है। उसकी विशृंखलता में ...

Shrilal Shukla's Raag Darbari
  • Language: en
  • Pages: 68

Shrilal Shukla's Raag Darbari

  • Type: Book
  • -
  • Published: 2017
  • -
  • Publisher: Unknown

None

Shrilal Shukla Ki Lokpriya Kahaniyan
  • Language: hi
  • Pages: 168

Shrilal Shukla Ki Lokpriya Kahaniyan

  • Type: Book
  • -
  • Published: 2005-07-13
  • -
  • Publisher: Unknown

श्रीलाल शुक्ल जितने बड़े व्यंग्यकार हैं, उतने ही सशक्त कहानीकार भी, जिनकी कहानियों का बिल्कुल अलग अंदाज है, जिनमें एक धीमा-धीमा व्यंग्य अकसर घुला-मिला होता है। इससे कहानी जो कुछ कहती है, उसके अलावा भी कई और दिशाएँ और आशय खुलते हैं, जिनमें जीवन की विसंगतियाँ, मनुष्य की भ...

राग विराग
  • Language: hi
  • Pages: 118

राग विराग

None

Pahala Padav
  • Language: hi
  • Pages: 268

Pahala Padav

Novel depicting the lifestyle of construction workers in India, mostly underemployed and exploited.