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'जिस्म के छिलके’ में आचार्य निशांतकेतु की एक सौ लघुकथाएँ संगृहीत हैं। इनके तीन खंड हैं-सामाजिक संदर्भों की लघुकथाएँ, ऐतिहासिक संदर्भों की लघुकथाएँ तथा पौराणिक संदर्भों की लघुकथाएँ। ये लघुकथाएँ अपनी लक्ष्यैकचक्षुष्कता में निश्चय ही प्रथम-स्थानीयता तथा शिल्पन-प्रतिमान हैं।
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'रति श्रृंगार और संन्यास सार’ शीर्षक प्रस्तुत ग्रंथ मूलरूप में ‘रम्भा-शुक्र-सम्वादः’ नाम से परंपरा-प्राप्त है। प्रयोजनवश ग्रंथनाम में परिवर्तन किया गया है। रम्भा और शुक दो व्यक्ति हैं। ये दोनों निमित्त-मात्र हैं। वस्तुतः यहाँ भारतीय चिंतन, अनुभूति और आचरण की प्रयो...
भारतीय अंक-प्रतीक-कोश ' (गणित ज्ञान: संख्यात शास्त्र) अपने विषय का न केवल हिंदी में, वरन् समस्त अठारह भारतीय भाषाओं में पहला कोश है । पाँच सौ पृष्ठोंवाला यह कोश प्रारूप और ज्ञान के संख्यात अनुशासन की प्रथम प्रस्तुति है । अपने में यह प्रथम प्राथमिकता और महत्त्व का विषय ...
On the life and works of Raghuvīra Nārāyaṇa, 1884-1954, Hindi, Bhojpuri, and English poet; includes a sampling of his works.
Transcript of interview with Niśāntaketu, b. 1938, Hindi author; chiefly on 20th century Hindi literature.
सीमा के उस पार अस्वस्थ पिता खड़े हुए और इस पार बेटी, बीच में लगभग आधे मील चौड़े पाट की एक नदी...धरती को बाँटने की कोशिशों का पीड़ाजनक नतीजा ऐसी ही सीमाओं में होता है। देश विभाजन की कहानियाँ बाँग्लादेश के लब्ध-प्रतिष्ठ लेखक सलाम आज़ाद ने इन्हीं सीमाओं और पीड़ाओं से आक्रान्त हो...